Friday, May 10, 2013

सिनिअर जी और मोहन की दोस्ती कॉलेज के दिनों में ही हुई थी , परन्तु मोहन
स्नातक की डिग्री हासील करने के बाद दिल्ली आ गया था ...और स्कूल चलाकर अपना जीवन
यापन करता था ...सिनिअर जी की सफलता से वह बहुत प्रसन्न और प्रभावित था ....सिनिअर जी
की प्रसिधी अब गाँव गाँव और शहर शहर में फैल चुकी थी ....

Tuesday, March 29, 2011

सिनिअर जी अपने सुभ कार्य को करते हुए निरंतर आगे बढ़ रहे थे की अचानक एक दिन रस्ते में उन्हें एक मुसाफिर जो की सड़क पे जख्मी पड़ा मिलता है ...उस मुसाफिर का सड़क पर एक भयानक एक्सीडेंट हो गया होता है जिसकी वजा से वो सड़क पर जख्मी हालत में बेहोश पड़ा होता है ...उस मुसाफिर के पास जाकर सिनिअर जी जब उसे उठाने का प्रयत्न करते है तो पाते है की वोह बुरी तरह से जख्मी है ...फिर फ़ौरन इन्सानिअत के नाते से उसे हॉस्पिटल ले जाते है ...लेकिन डॉक्टर उसकी हालत को देखते हुए उसे भर्ती करने से इनकार कर देते है क्यों की उसका खून बहुत हद तक सरीर से निकल चूका होता है ...फिर उसी अवस्था में एक दुसरे हॉस्पिटल में उस मुसाफिर को सिनिअर जी भर्ती करवा देते है लेकिन वहां भी डॉक्टर के अथाह प्रयास के बावजूद  सफलता हाथ नहीं लगाती है ....फिर उस मुसाफिर के ऑपरेशन थिएटर में जाकर डॉक्टर के इजाजत से सिनिअर जी उसका खुद ही ऑपरेशन करते है और उसे खतरे से बचा लेते है ...ये नजारा देख कर उस हॉस्पिटल के  सभी डॉक्टर और हॉस्पिटल प्रशाशन दंग रह जाता है ...फिर सिनिअर जी का धन्यवाद करते है ....और सिनिअर जी को अपने हॉस्पिटल में बतौर एक सिनिअर डॉक्टर कार्य करने का प्रस्ताव रखते  है लेकिन ...सिनिअर जी इसे स्वीकार नहीं करते है क्यों की सिनिअर जी की मंजिल कुछ और थी और फिर उस मुसाफिर को उसके परिवार के हवाले करने के लिए उस मुसाफिर के साथ उसके घर तक जाते है ...फिर वहां से विदा लेकर अपने गंतव्य की तरफ रवाना हो जाते है ...इस प्रकार से सिनिअर जी की लोकप्रियता दिन दुनी और रात चौगुनी बढती  जाती है ...ये समाचार अखबारवाले और टी वि चंनेल्स  वाले अपना मुख्य खबर बनाते  है ...और फिर सिनिअर जी की लोकप्रियता में चार चाँद लग लग जाता है ..........

Wednesday, March 2, 2011

दो तिन किलोमीटर की दुरी पर ही एक सज्जन व्यक्ति को कोई  उसके दुश्मन   डकैती के इल्जाम में फसा देता है ...इसलिए वो जेल में बंद हो जाता है ...केश आगे  बढ़ जाता  है और उसको मदत करने वाला कोई नहीं होता है ..यहाँ तक की उसके रिश्तेदार भी उसका साथ छोड़ देते है ....उसके पास कोई अच्छा  वकील भी नहीं होता जो उसको बचा  सके ...बड़ी मुस्किल से एक वकील ठीक कर पाता है ...लेकिन वकील उस व्यक्ति को जिसका नाम जीसान है उसे बचा पाने में असफल रहता है ....इसलिए उसकी सारी  उम्मीदें ख़तम होने के कगार पे होती है ....उसका एक दोस्त सिनिअर  जी के बारे में पता लगाकर सिनिअर जी को सारी बात बताता है ....सिनिअर जी उसके केश को लड़ने के लिए बिना फिश के ही तैयार हो जाते है ....मुकदमें की सुनवाई के दिन अचानक जब जीसान के तरफ से कोर्ट में सिनिअर जी बहस करते है, तो ये देख कर सभी दंग
रह जाते है ....और अंततः जीसान बाइज्जत बरी हो जाता है ......

Wednesday, February 23, 2011

और फिर अपनी पढाई  पूरी करने के बाद पंकज दिल्ली चला जाता है ...फिर वहां अपने एक दोस्त श्याम के घर रुकता है ...वहां जाकर बच्चो को पढ़ाने का एक छोटा सा स्कूल चलता है ...और उन्ही दिनों उसके संपर्क में एक जादूगर  आता है .जिसका नाम बंसीधर होता है ...बंसीधर को वह अपना गुरु बना लेता है ....और इस तरह से पांच साल में वह एक बड़ा जादूगर बन जाता है ....उन्ही दिनों की बात है के पंकज को एक बाबा मिलते है ...बाबा अंधे होते है ...बाबा को सड़क पार करनी होती है ...पंकज बाबा को सड़क पार करने में उनकी पूरी मदद करता है ...फलस्वरूप  बाबा पंकज को गले लगा लेते है ...और फिर उसको एक आशीर्वाद देते है ...बेटा तुम इस संसार में महान करने के लिए आये हो ...और तुम उस शक्ति का प्रयोग सदुपयोग के लिए करना ...इसमें तुम्हारी मदत इश्वर भी पूरी तरह से करेगा  ...जो भी अच्छा कार्य हो सके मानव जाती के कल्याण के लिए, वही करना ....और यह बोल कर बाबा लुप्त हो जाते है .....


इस मिलन से पंकज को एक अद्भुत शक्ति प्राप्त होती है ....फिर पंकज यह भी भूल जाता है के वह अपने दोस्त के घर रहता है और एक स्कूल चलाता है ....
सो वह आगे को बढ़ जाता है रोजगार की तलाश में ...रस्ते में सड़क का निर्माण कार्य चलता रहता है ..वहां पर उसकी मलाकात एक ठग से होती है ...पंकज उससे काम के लिया बोलता है ...लेकिन पूरी महीने का कार्य करने के बाद वोह ठग उसके पैसे ले कर भाग जाता है ....

फिर क्या था वह  खाने पिने लिए भी मुहताज हो जाता है ...ये दुनिया बहुत सताती है उसे ...फिर वह अपने जादुई शक्ति का प्रयोग करके उस ठग तक पहुच जाता है ...और उसे सजा देता है .....
फिर वह  एक व्यक्ति से मिलता है ....उसे अपना हाल बताता है ....फिर पंकज की एक छोटी सी नौकरी लगवाता है ....जिसमे पंकज पूरी तरह से सफल रहता है .....जब ये बात उसके पुराने दोस्त को पता चलता है किसी तरह से, तो पंकज को पुरानी बाते याद दिलाता है ...और फिर दोनों दोस्त एक साथ रहने लगते है .....

फिर क्या था उस इलाके में किसी के साथ कोई भी समस्या आती तो उसका समाधान वह  तुरंत कर देता ....स्थानीय निवासी पंकज को अब सिनिअर जी के नाम से बुलाने लगे ....

Tuesday, February 15, 2011

पंकज ने छठी क्लास पास कर लिया था ...और फिर आगे की पढ़ाई के लिए शहर में जाना चाहता था ...उसके चाचा जो की पुलिस में थे इसलिए उसके पापा दीनानाथ जीने ये फैसला किया के आगे की पढाई के लिए उनके पास ही अपने बेटे को भेज देना चाहिए ....इसका फायदा ये होगा के अपनी पढाई के साथ साथ पंकज के अन्दर पुलिस के कार्य करने की प्रकिर्या भी समझ में आ जायेगी ...इस तरह से दो -दो  साल हर चाचा के पास रह कर उसने पढ़ाई जारी रखी ..जैसा के उसके एक चाचा पुलिस में एक चाचा डॉक्टर ..एक चाचा वकील और एक चाचा इंजिनियर थे ....सब के पास बारी बारी से रहने के बाद उसने अपनी पढाई भी पूरी कर ली और उन सभी प्रोफेस्स्नल्स के कार्य करने की प्रक्रिया भी समझ में आ गई ....अब तक उसकी उम्र येही कोई २० साल की हो गई थी .....अब तक पंकज ने अपनी बी.ए की परिक्च्छा भी पास कर ली थी बहुत ही अच्छे नंबरों से ....फिर अपने घर आ जाता है पंकज और अपने पापा से आगे की रन निति तय करता है .......

Sunday, February 6, 2011

सिनिअर उस्ताद


बहुत देर से ये सोंच कर सभी परिवार वाले हैरान थे के आज कल के इस जमाने पे बच्चों को किस तरह की तालीम दी जाए की उनका भी भला हो सके और समाज का भी भला हो सके ....तभी घनस्याम जी ने कहा ...भाई तुम अपने बेटे को इंजिनियर बना दो ....अरविन्द ने कहा के नहीं तुम उसे डॉक्टर बना दो ...भगवत जी ने कहा अरे उसे वकील बना दो ....चारो भाइयों ने अपने अपने विचार रख दिया ...लेकिन दीनानाथ जी के दिमाग में तो एक ऐसी बात चल रही थी जिसका किसी को भी अंदाजा नहीं था ...और उन्होंने कहा ...के देखो भाई मैं अपने बच्चे को एक ऐसा इंसान बनाना चाहता हूँ जिसके अन्दर ये सारे गुण मौजूद हो ....तो अंगद जी ने ये कहते हुए चुटकी ली के भाई तो पंकज को जादूगर बना दे ...और फिर सभी जोर से ठहाके मार मार के हंसने लगे ....तभी वहां पे पंकज आ गया जो को अभी तो क्लास ६ में पढ़ रहा था ...उसने पूछा पापा ये किसको जादूगर बनाने की बात चल रही है ?
मुझे ? हां मेरी भी येही इच्छा है के मैं एक जादूगर बनू ......

Monday, January 24, 2011



मंगलू और रामू दोनों ने मिलकर यह फैसला किया, के हम आज फिर से उसी जगह पे जायेंगे जहाँ पे उस शैतान  ने हमें पकड़ने की कोशीश की थी ....
रामू- ठीक है लेकिन इसके बारे में हमें शाहीन परी को पहले से ही इत्तला कर देनी चाहिए ....
मंगलू - हाँ हाँ ...और इस तरह से परी रानी को ये बता दिया गया .....

अब दोनों दोस्त और परी रानी तीनो उसी झाडी  के पास खड़े हो कर आपस में बातें कर रहे थे के अचानक...झाडी की तरफ से तेज-तेज हवा बहती  हुई आई और दोनों रामू और मंगलू जमीन पे गिर पड़े  ....जब शाहीन परी ने ये माजरा देखा तो तुरंत ही इस जादुई हवा को अपने जादू से बेअसर कर दिया ....
और फिर क्या था शैतान  तिलमिला गया और झाडी की तरफ से आगे बढ़कर रामू और मंगलू की तरफ आ गया ...सैतान ने अपने एक उंगली से आग  के गोले निकालने  लगा और चारो तरह आग के शोलों ने रामू और मंगलू को घेर लिया ...शाहीन  परी ने बांसुरी की मदत से उस जादू को भी बेअसर कर दिया ...और फिर शैतान पर अपना हमला बोल दिया ....
शैतान को पानी से भरे हुए एक दरिया की तरफ मारते  हुए ले गए तीनो मिलकर और ...फिर शाहीन  परी ने एक खंजर से शैतान  के सर पर  वार कर दिया इस तरह से शैतान  वही ढेर हो जाता है लेकिन ...फिर सामने देखा तो बहुत सारा सैतान सामने आ गया ...फिर शाहीन  परी ने अपने सहेलियों और परी की दुनिया से बहुत से दुसरे परियों को फ़ोन कर के बुला लिया ...और फिर घमासान लड़ाई  होने लगी  ...अंततः वहां पे उपस्थित सारे शैतान मारे जाते है .....फिर शाहीन  परी की सादी मंगलू के साथ संपन होती है उसके परिवार वालों के सामने.... और तब तक मोहिनी और रामू भी पढ़ाई पूरी करके ..अपने करियर की शुरुआत कर चुके होते है ...रामू और मोहिनी की भी शादी  हो जाती ही उनके परिवार वालो की सहमती से .....